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11 Feb 2021 · 1 min read

अब क्या लिखूं तुझपर

राहें इश्क में आये है दोनों हाथ को जोड़कर
हजारों उल्फत की कसम खाने को दौड़कर

रिमझिम बारिश है और रंजोगम की घटाएं
कागज पर अपनी आँखें रखी है निचोड़कर

बरसों से सीने में सुलगती आग को बुझा दें
होंठ पर होंठ रख दे शर्मो हया को छोड़कर

अब क्या लिखूं तुझ पर ऐ बेमिसाल हुस्न
तू आना पलकों की छाँव तारों को ओढ़कर

दरियादिली में तेरे इश्क का गुलाम बनने को
मैं आया अपने बादशाह वाले अहम तोड़कर

यादों के मधुर मधुबन में तेरा प्यार महके तो
अशोक नहीं देखेगा बिता वक्त गर्दन मोड़कर

अशोक सपड़ा की कलम से

2 Likes · 2 Comments · 302 Views
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