अब कोई मज़हब दिखाई नही देता
अब कोई मज़हब दिखाई नही देता
ऐसा कोई मरहम दिखाई नही देता
तरसती रही ज़िंदा लाश सड़क किनारे
इंसा को इंसा का दर्द दिखाई नही देता
लड़ रहे थे लोग लड़ाई मज़हब बचाने की
मज़हब की आयाते वो समझ क्यों नही लेता
भूपेंद्र रावत
29।02।2020
अब कोई मज़हब दिखाई नही देता
ऐसा कोई मरहम दिखाई नही देता
तरसती रही ज़िंदा लाश सड़क किनारे
इंसा को इंसा का दर्द दिखाई नही देता
लड़ रहे थे लोग लड़ाई मज़हब बचाने की
मज़हब की आयाते वो समझ क्यों नही लेता
भूपेंद्र रावत
29।02।2020