अब कैसे कह दूं
सांस की हर आहट में तुम
मेरी मुस्कुराहट में तुम
तनहाई के शोर में तुम
तो शोर की खामोशी में भी तुम…
अब कैसे कह दूं,
की मैं तुम्हारे साथ नहीं होती……
जागूं तो सोच में तुम
सो जाऊं तो खवाव में तुम
हर एहसास में तुम
मेरी हर ख्वाहिश में तुम…
अब कैसे कह दूं,
की तुमसे मुलाकात नहीं होती…..
मेरी कविता में तुम
कविता के हर लफ्ज़ में तुम
उसके रस में तुम
तो उसके श्रृंगार में भी तुम
अब कैसे कह दूं
की तुमसे बात नहीं होती