अब के बरस नए साल में तू
कुटिल जीवन की राहें देख हमसफ़िर होजा
हे भारतीय आदर्श नारी मेरी तक़दीर होजा
वाम अंग में बैठाकर तुझे सम्मानित करूँगा
मेरे धर्म अर्थ काम मोक्ष की तू तस्वीर होजा
मैँ अपना प्रेम स्थापित करना चाहता तुझसे
तू मेरी स्नेहज्योति मेरे दिल की ज़मीर होजा
प्रेम पदार्थ दूँगा प्रिये पर कुछ अधिकार तो दें
मेरा हाथ थाम कर आज से मेरी जागीर होजा
मैं तेरे घावों को सहलाना चाहता प्रेम शब्दों से
मेरी आँख के गिरते हुए आसुंओ की पीर होजा
बीतें साल तेरी सकल वेदना पी न सका तो क्या
नए वर्ष में प्रेम अंकुर उगाने को तू नाज़िर होजा
तेरी पूजा की ख़ातिर मन्दिर मस्ज़िद नहीं जाता
दिल कहता मुझे मस्तमोला हमदर्द फ़क़ीर होजा
तेरे युगल नयनों की तृप्ती बनना चाहता हूँ प्रिये
अब के बरस नये साल मेरे हाथ की लकीर होजा
अब के बरस नए साल मेरे हाथ की
अशोक सपड़ा हमदर्द