अब और कितना झूठ बोले तानाण तेरे किरदार में
अब तो सारे सवाल खत्म हो गए बाजार में
जब से खाली करी बोतल बियर बार में
गजल लिखने का क्या फायदा तेरे दिदार में
जब एक हि मिसरे को पढूं में चार बार में
अब तो शायरा भी चली गई हैं किसी कि कार में
जब से बंजर भूमी पर फुल खिले नौ बहार में
अब तो घूमना फिरना भी बंद हुआ आगार में
जब से जेब में रखे पेन को किया है श्रृंगार में
अब और कितना झूठ बोले तानाण तेरे किरदार में
जब से डायरी को छोड़ दिया है भंगार में
~ मनोज तानाण~
( Manoj Tanan)