अब ऐसी दोस्ती
किताबें बदल दी, साल बदल गयी,
लोगों के सोचने की स्टाईल बदल गयी,
पहले दोस्ती हो जाती थी ,
बैर मकौरे खाने में,
अब होटलों की फर माईस चल गयी,
दे दिया करते थे एक फूल ,
गैंदा गुलाब ,चमेली का,
अब दोस्ती करने के लिये,
मोबाईल दिलाने की बात चल गई,
नखरें उठाते रहो लाख उनके,
नहीं उठाये अगर तो,
वो किसी और के साथ ,
हमसे बिन बताऐ निकल गई,
लेखक—Jayvind Singh Ngariya Ji