अब उनकी कुर्सी पे बात बन आई है !
वो वोटी हमारी नोच रहे
हम रोटी-रोटी करते हैं ,
वो शासक हैं, हम शोषित हैं
वो मालिक हैं हम चाकर हैं.
हम दीन-हीन वो धनी बने
हम बेबस वो सरकार बने.
फिर हम दोनों में कैसे न ठने
बोलो हम उन से कैसे न तने.
अब बात आन पे बन आई है
अब बात जान पे बन आई है.
हम मुट्ठी में यलगार भरे,
उनके देहरी पे हैं आन खड़े.
अब ज़ोर न उनका हम पे होगा,
हमारा मस्तक चाहे न तन पे होगा
अब रुद्र बने हम खड़े हुए, हम अड़े हुए
जैसे समर को इस रण में हैं हम सजे हुए
देखो अब उनकी सामत घिर आई है
अब उनकी कुर्सी पे बात बन आई है !
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09-05-2019
…सिद्धार्थ …