अब्दुल्ला की शहादत
अब्दुल्ला को नींद नहीं आ रही थी, शिविर में आज फिर एक बड़े मौलाना के बयान सुनकर आया था। वही रटी रटाई बातें, अल्लाह की राह में मर भी गए तो जन्नत नसीब होगी, हूरें मिलेंगी, काफिरों को मारने के बराबर कोई सवाब नहीं। समझ में नहीं आता मौलाना अपने ही बयान में कहता है, पत्ता पत्ता जर्रा जर्रा पूरी दुनिया खुदा की बनाई हुई है, तो फिर यह काफिर कहां से आए? आखिरकार काफिरों को भी तो खुदा ने ही बनाया होगा? जहां तक जन्नत की बात है, तो मेरा मुल्क, मेरी घाटी, मेरी धरती, जन्नत से कम तो नहीं? जहां तक बात हूरों की है, धरती पर जो औरतें हैं हूरों से कम तो नहीं? कितनी नफरत भरी है इनके दिलों में, पूरी दुनिया में जहर घोल रहे हैं सीरिया अफगानिस्तान भारत पाकिस्तान में तो मैं आंख से देख चुका हूं, कितनी औरतें बेवा हो गई कितने दिन निर्दोष मारे गए, कितने बच्चे यतीम हो गए कितने लोग मारे जा चुके, बाजार मस्जिद स्कूल कुछ भी तो नहीं छोड़ते काफिर शिया सुन्नी, आखिर ये नफरत दुनिया को कहां ले जाएगी। सोचते सोचते पूरी रात गुजर गई आंखे जल रही थीं, सुबह हो रही थी नमाज का वक्त हो गया।
अब्दुल्ला अबू बकर एवं हमजा हम उम्र थे, आए तो अलग-अलग मुल्क से थे, लेकिन दहशतगर्दी की ट्रेनिंग एक साथ ली थी। तीनों सीरिया अफगानिस्तान पाकिस्तान में साथ-साथ भेजे गए, अब भारत भेजने की तैयारी थी, आखिर कमांडर का फरमान आ ही गया। तीनों को बुलाया तुम तीनों तैयार रहो, आज रात तुम्हें सुरंग के जरिए बॉर्डर पार भेजा जाएगा। मिलिट्री कवर फायर देगी, नजर रखेगी अब्दुल्लाह कश्मीर का है उसको सारी जानकारी है। एरिया कमांडर हमारे संपर्क में है, वहां तुम्हारी रहने की व्यवस्था हो गई है। तुम लोगों को कश्मीर में भारत की चूल्हें हिलानी हैं, ऐसी दहशत गर्दी फैलाना की काफिरों की रूह कांप उठे, और सुनो अनंतनाग बारामूला में काफिर हिंदू सिख तो हैं, ही मुसलमान भी बहुत हैं, बम धमाकों में वे भी मरेंगे, चिंता मत करना गेहूं के साथ घुन तो पिसता ही है। तुम लोग तैयार हो जाओ, तीनों ने सिर हिलाकर जी जनाब कहा, जाओ तैयारी करो खुदा हाफिज।
तीनों ऑटोमेटिक गन ग्रेनेड बमों से लैस थे, खाने के लिए ड्राई फ्रूट्स इंडियन करेंसी वायरलेस मोबाइल सभी चीजें थीं। आखिर रात में जोरदार फायरिंग शुरू हो गई दोनों तरफ से भारी गोलाबारी हो रही थी। तीनों सुरंग के जरिए भारत की सीमा में प्रवेश कर गए थे, अब्दुल्ला लोकल था, दोनों तरफ की फायरिंग से बचते बचाते तय जगह तीनों लोकल एरिया कमांडर के पास पहुंच गए। रहने का इंतजाम हो गया। कमांडर ने कहा तुम तीनों की बहुत तारीफ सुनी है, सुना है तुम लोगों ने पाकिस्तान अफगानिस्तान एवं सीरिया में भारी तबाही मचाई है, जी जनाब।
अच्छा आज आराम करो कल से क्या करना है, सारा प्लान तुम्हें मिल जाया करेगा, सतर्क रहना यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस एवं मिलिट्री लगी हुई है। अब फोन पर ही संपर्क हो रहेगा, जरूरी सामान तुम्हारे पास पहुंच जाया करेगा, खुदा हाफिज। तीनों थके हुए थे खा पीकर सो गए।
हमजा ने अब्दुल्ला को फोन देते हुए कहा, कमांडर का फोन है, जी जनाब, अब्दुल्ला गौर से सुनो नक्शा भेज दिया है, अनंतनाग जिले का गांव हैं गांव के पास मंदिर में, कोई मिलिट्री बाबा के नाम से काफिर है, सुना है मिलिट्री से रिटायर होकर यहीं बस गया है। दवाइयां देता है, बहुत काफिर आते हैं, मुसलमान भी बहुत आते हैं, बाबा के कारण बहुत से मुसलमानों का काफिरों में विश्वास बढ़ रहा है, आज उसको उड़ाना है कोई शक, कोई शक नहीं जनाब, मेरा सब देखा हुआ है। पर हां कमांडर काफिरों से ज्यादा वहां मुसलमान आते हैं, कोई बात नहीं तुम इसकी चिंता मत करो। बाबा मंदिर सब को उड़ा दो जल्दी से जल्दी।
जी जनाब।
अब्दुल्ला को अपने बचपन की याद आ गई, बहुत बीमार हुआ था, मां और अब्बू मुझे इसी बाबा के पास लाए थे, इसी बाबा ने मुझे मरने से बचाया था, आज जान बचाने वाले को मारना पड़ेगा? सोच सोच कर नींद भूख प्यास सब गायब थी, अबू बकर एवं हमजा ने अब्दुल्ला से कहा आजकल तुम खोए से रहते हो क्या बात है? कुछ नहीं यार, नहीं कुछ तो है, बताओ ना यार? अब्दुल्ला ने खीजते हुए कहा, तुम सुनोगे, मानोगे तुम्हारे हमारे अंदर इतना जहर भर दिया गया है की मौत के अलावा जिंदगी की बातें दिमाग में घुसती ही नहीं। जहां जहर का समंदर भरा हो वहां अमृत की बूंदें भी क्या करेंगी। हम कुछ समझे नहीं अब्दुल्ला, हां मैं वही तो कह रहा हूं तुम कुछ भी नहीं समझोगे, अब्दुल्ला तुम जबसे अपने मुल्क में आए हो बहकी बहकी बातें कर रहे हो, फिर बताओ आज क्या बात है? या वही पुरानी बातें काफिर को किसने बनाया है? धरती जन्नत से कम तो नहीं? हूरें तो यहां भी हैं? चलो यार टाइम खराब मत करो, आज किसी भी सूरत में टारगेट को उड़ाना है। चलो खाना खाते हैं, फिर निकलते हैं काम पर।
तीनों खाना खाकर जरूरी सामान बम रिमोट इत्यादि लेकर अनंतनाग के उस गांव की ओर चल पड़े।
शाम हो रही थी, बाबा के यहां आज अच्छी भीड़ थी लोग मरीजों को लेकर पहुंचे थे, बाबा एक एक कर दवाई एवं हिदायतें दे रहे थे। अब्दुल्ला को अपने बचपन की याद आ गई, जैंसे अभी अम्मी और अब्बू की गोद में बैठा हूं, पुरानी यादें ताजा हो गईं।
तब तक अबू बकर और हमजा का संदेश आ गया। बम प्लाट हो चुका है, उड़ा दो सालों को।
अब रिमोट अब्दुल्ला को दबाना था, अब्दुल्ला के हाथ कांप रहे थे, बदन में एक सिहरन सी दौड़ रही थी, आज मैं जान बचाने वाले को ही मार रहा हूं, कितना नीच हूं। मां-बाप जान बचाने वाले के एहसान कभी चुकाए नहीं जा सकते, यह मैं क्या कर रहा हूं? अब्दुल्ला रिमोट ना दवा सका, उठ कर दोनों के पास वापस आ गया। यह क्या किया अब्दुल्ला, किए कराए पर पानी फेर दिया, सब ठीक था हमने बम प्लॉट कर दिए थे, तुमने रिमोट क्यों नहीं दबाया? अब्दुल्ला बोला चलो आज असली रिमोट दबाऊंगा। क्या मतलब, आज कमांडरों की अड्डे पर मीटिंग है,
वहीं सब को बताऊंगा, तीनों वापस आ गए।
हमजा और अबू बकर कमांडर को क्या जवाब देंगे? सोच में थे।
अब्दुल्ला ने कहा तुम लोग कुछ खा पी लो, मैं मीटिंग की तैयारी कर लूं, बहुत से लोग आ रहे हैं, सब के स्वागत की तैयारी करना है।
मीटिंग के स्थान पर अब्दुल्ला ने बम लगा दिए।
एक एक कर बहुत से लोग आते जा रहे थे, आखिर में चीफ कमांडर भी पहुंच गया। आतंकी गतिविधियों की समीक्षा की जा रही थी, तभी मुद्दा मिलिट्री बाबा का उठा, अब्दुल्ला से पूछा जा रहा था तुमने रिमोट क्यों नहीं दबाया? मैंने सुना है तुम काफिरों जैसी बातें कर रहे हो, आखिर तुमने रिमोट क्यों नहीं दबाया? अब्दुल्ला ने कहा, कमांडर रिमोट तो मैं अब दबाऊंगा अच्छा हुआ तुम सब एक साथ आ गए हो।
क्या मतलब, मतलब क्या है तुम्हारा?
अब्दुल्ला ने कहा,अरे मानवता के हत्यारों, तुम में से आज एक भी नहीं बचेगा और अब्दुल्ला ने रिमोट से धमाका कर दिया, धमाका बहुत जबरदस्त था सब के सब उड़ गए, कुछ निर्दोष भी मारे गए।
अफसोस अब्दुल्ला भी बच ना सका, उम्मीद है अब्दुल्ला की शहादत से कई अब्दुल्ला पैदा होंगे, जो खुदा की खूबसूरत कायनात पूरी दुनिया को, दहशतगर्दी के जहर से बचाएंगे, और खुदा के बताए अमन शांति और प्रेम की नेक राह पर चल कर इंसानियत को मजबूत करेंगे।खुदा खैर करे,इसा अल्लाह खुदा हाफिज।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी