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12 Nov 2020 · 1 min read

अबकी बार दीए ऐसे जलाना

अबकी बार दीए ऐसे जलाना,
जिससे देश में खुशहाली हो।

मिट्टी के दीए तुम जलना सब,
इससे गरीब परिवार पलते है।
कीट पतंग मच्छर आदि सभी,
तेल के दीए से ही जलते हैं।
मत लाना तुम चाइना के दीए,
इससे देश का धन बाहर जाता हैं।
वोकल से तुम लोकल बनना है,
इससे ही देश में आनंद आता है।।
यह देश तुम्हारा बगीचा हैं,
तुम इस देश के माली हो,
अबकी बार दीए ऐसे जलाना,
जिससे देश में खुशहाली हो।।

सीमाओं पर दो दुश्मन खड़े हैं,
उनसे देश को तुम्हे बचाना है।
देनी पड़ जाए प्राणों की आहुति,
फिर पीछे तुमको नहीं हटना है।
दुश्मन देश को जो धन जो जाता,
उससे खरीदते वे बारूद गोली है।
इसी बारूद और गोली से वे,
खेलते हम से खून की होली है।
लेनी है हमे ऐसी सौगंध सभी ने,
ये सौगंध न जाए अब खाली हो।
अबकी बार दीए ऐसे जलाना,
जिससे देश में खुशहाली हो।।

कार्तिक मास की अमास्या को
तुमने रात न काली करनी है,
विदेशी माल खरीद कर हमे
उनकी झोली नहीं भरनी हैं।
बनाकर मिट्टी के दीए किसी ने
गरीब परिवार ने आस पाली है,
उनकी मेहनत को ख़रीदो तुम,
उनके घर में भी दीवाली है
करना ऐसे यत्न तुम सब
सबके घर में खुशहाली हो।
अबकी बार ऐसे दीए जलाना ,
जिससे देश में खुशहाली हो।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम
मो 9971006425

Language: Hindi
1 Like · 415 Views
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