अफसोस और आशा
अफसोस और आशा
16 मात्रा धुन राधेश्याम
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कायर नक्सलियों के हाथों,
जो हुए शहीद नमन उनको ।
वे गये वतन की रक्षा में,
हम बजा रहे मातम धुन को ।
यह नहीं समझ में आता है,
हम कबतक यह दिन झेलेंगे ।
नक्सलवादी बस इसी तरह,
यह खून की होली खेलेंगे ।।
हम क्या बोलें इस घटना पर,
आँखों से आँसू बहते हैं ।
यह दर्दनाक यह शर्मनाक,
अफसोस जता ये कहते हैं ।
ओ शेर हिंद के एक बार,
गिन गिन कर इन्हें पछाड़ो तो।
बाँकी विकास हम कर लेंगे,
तुम खुलकर जरा दहाड़ो तो।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश