*”अफसाना”*
“अफसाना”
छोटी सी जिंदगी का बस इतना ही अफसाना।
बीते हुए लम्हें जो साथ गुजारे, वो धुंधली यादों का तराना।
मायामोह के चक्कर में पड़ ,बन जाये मस्ताना।
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा ,सब कुछ यही पे रह जाना।
जीवन रंगमंच कठपुतली बन ,अभिनय करते जाना।
गिला शिकवा किससे करें ,किस बात का गुरूर अफसोस जताना।
मुश्किल घड़ी में जुड़ना टूटना, बिछुड़ना फिर साथ हो जाना।
खामोश निगाहें खोज रही ,प्रीत की रीत जगा समझाना।
रीति रिवाजों रस्मों अदायगी ,वक्त का गुजरा हुआ जमाना।
जिंदगी जीने का नाम जिंदादिली ,आखिर एक है चले जाना।
अंतर्मन में ज्योति जला कर, प्रभु सुमिरन में ध्यान लगाना।
शशिकला व्यास