अफसाना किसी का
गीतिका
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हो गया है अब यहां पर कौन दीवाना किसी का
खूब सबको भा रहा है आज अफसाना किसी का
भावनाओं में न बहना व्यर्थ अब देखो यहां पर
राह से विचलित न कर दे खूब मुस्काना किसी का
लाख करके कोशिशें भी पास जब आता न कोई
ठेस पहुँचाता है मन को दूर हो जाना किसी का
बिन रुके हमको यहां है मंजिलों की ओर बढ़ना
खुशनसीबी है बहुत ही साथ मिल जाना किसी का
हो नहीं साथी अगर तो मन कहीं लगता नहीं है
प्रिय लगे तो मन सुहाता खूब याराना किसी का
सत्य हो सकते नहीं सब स्वप्न अपनी जिंदगी के
हो नहीं सकता अहितकर स्वप्न दिखलाना किसी का
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य