Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2021 · 2 min read

अपशब्द

“यार एक बात समझ में नहीं आई?” पशोपेश में पड़े राकेश ने सिर खुजाते हुए कहा।

“क्या?” गोपाल ने ठण्डे दिमाग़ से पूछा।

“भला एक छोटी-सी बात पर महाभारत का इतना बड़ा युद्ध कैसे रचा गया?” राकेश के स्वर में आश्चर्य था।

“चुप बे अंधे की औलाद।” गोपाल ने अचानक क्रोधित होकर कहा।

राकेश को गोपाल के इस बदले व्यवहार से जैसे थप्पड़-सा लगा। एक तो वह इतने प्यार से प्रश्न पूछ रहा है और यह महाशय गाली दे रहें हैं।

“क्या कहा बे?” राकेश ने गोपाल का गिरेबां पकड़ते हुए कहा।

“रिलेक्स राकेश भाई … टेक इट इजी।” गोपाल ने अपना गिरेबान छुडवाने के प्रयास में कहा।

“व्हाय?” राकेश ने पूछा और अपनी पकड़ ढीली की।

“मैंने तो बहुत छोटी-सी बात कही थी और आप हाथापाई पे उतारू हो गए! मेरा कालर पकड़ लिया आपने!” गोपाल ने कमीज़ ठीक करते हुए कहा।

“कालर नहीं पकड़ता तो क्या आरती उतारता साले … और ये छोटी-सी बात थी!”

राकेश ने बड़े गुस्से में भरकर कहा, “क्या मेरा बाप अन्धा है? अगर मेरे हाथ में गन होती तो मैं इस छोटी-सी बात पर तुझे गोली मार देता।”

“यही तो ….” गोपाल ने हँसते हुए कहा, “यही तो मैं समझाना चाहता था, जाट बुद्धि।”

“क्या मतलब?” राकेश का गुस्सा कुछ शांत हुआ।

“मतलब एकदम साफ़ है, तुम्हारे पिता दृष्टिहीन नहीं हैं। यह बात मैं अच्छी तरह से जानता हूँ लेकिन तब भी तुम मुझे मारने पर उतारू हो गये। यदि खुदा-न-खास्ता पिस्तौल तुम्हारे हाथ में होती तो शायद मैं इस वक़्त आखिरी सांसे गिन रहा होता!”

गोपाल ने इस सादगी से कहा कि राकेश की भी हंसी छूट गई।

“सोचो मिस्टर राकेश, दुर्योधन पर क्या गुजरी होगी? जिसका बाप सचमुच में ही अन्धा था और उसे अपनी भाभी द्रौपदी के मुख से यह सुनना पड़ा ‘अन्धे का पुत्र अन्धा।’ अत: इस अपशब्द पर महाभारत का युद्ध होना तो तय था ही।”

“हाँ, आप सही कह रहे हैं, गोपालजी।” राकेश ने पूरी बात समझते हुए सिर हिलाकर कहा।

“इसलिए तो कहता हूँ जनाबे-आली … किसी काने या अन्धे को यदि प्रेम से सूरदास या नैनसुख कह दिया जाये तो बुरा क्या है?”

गोपाल जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “कम से कम अपशब्द कहने के कारण दुबारा महाभारत तो न होगी!”

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 729 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
" सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
शिखर के शीर्ष पर
शिखर के शीर्ष पर
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
मैंने चुना है केसरिया रंग मेरे तिरंगे का
मैंने चुना है केसरिया रंग मेरे तिरंगे का
Saraswati Bajpai
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
4195💐 *पूर्णिका* 💐
4195💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
कोई एहसान उतार रही थी मेरी आंखें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
साँसें थम सी जाती है
साँसें थम सी जाती है
Chitra Bisht
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
ज़मीर
ज़मीर
Shyam Sundar Subramanian
नींद आज नाराज हो गई,
नींद आज नाराज हो गई,
Vindhya Prakash Mishra
ऐ ज़िन्दगी!
ऐ ज़िन्दगी!
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
©️ दामिनी नारायण सिंह
*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
*पीयूष जिंदल: एक सामाजिक व्यक्तित्व*
Ravi Prakash
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
DR Arun Kumar shastri
DR Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
लहरों सी होती हैं मुश्किलें यारो,
Sunil Maheshwari
आई वर्षा
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गमन जगत से जीव का,
गमन जगत से जीव का,
sushil sarna
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
VINOD CHAUHAN
कत्ल खुलेआम
कत्ल खुलेआम
Diwakar Mahto
होना नहीं अधीर
होना नहीं अधीर
surenderpal vaidya
राम नाम की जय हो
राम नाम की जय हो
Paras Nath Jha
😢रील : ताबूत में कील😢
😢रील : ताबूत में कील😢
*प्रणय*
बेटी
बेटी
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तूं बता ये कैसी आज़ादी है,आज़ भी
तूं बता ये कैसी आज़ादी है,आज़ भी
Keshav kishor Kumar
"कयामत किसे कहूँ?"
Dr. Kishan tandon kranti
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि
Rj Anand Prajapati
Loading...