” अपमान जैसा “
हे पथिक ! जरा ध्यान से सुन ,
ज्ञान नहीं तो अभिमान कैसा ?
फुल नहीं तो बागवान कैसा ?
कर्म नहीं तो धर्म कैसा ?
गलत से टकराएं नहीं तो ,
सही का ज्ञान कैसा ?
दुःख नहीं देखा तो ,
सुख का भाव कैसा ?
प्रेम नहीं दिया तो ,
नफ़रत का नाम कैसा ?
इमान ना हो तो इंसान कैसा ?
जान नहीं तो जहान कैसा ?
भूख नहीं तो सम्मान कैसा ?
ज्योति कहे ये लगे बिल्कुल अपमान जैसा ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली