– अपनो की गलती की सजा पा रहा हु में –
अपनो की गलती की सजा पा रहा हु में
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मेरे अपनो की गलती की सजा पा रहा हु में ,
होते हुए भी नाथ अनाथो का जीवन जिए जा रहा हु मे,
सब स्वार्थी सब मतलबी, सब फरेबी है अपने,
जीवन में इस सत्य को देख पा रहा हु में,
मेरी मुश्किलों पर हंसते पीड़ाओं का पहाड़ झेले जा रहा हु में,
में दुविधा में हु उनको छोडू तो कर्तव्य पथ से व्यथित ,
ना छोडू तो दुख झेले जा रहा हु में,
अपनो की गलती की सजा पा रहा हु में
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान