“ अपनों में सब मस्त हैं ”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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बहुत कुछ मैं
कहना चाहता हूँ
लोगों की भी
सुनना चाहता हूँ
लोग स्तब्ध ,
मौन हैं दग्ध हैं
किसी से कोई
नहीं मुग्ध हैं
सब खुद रंग
रोदन में मस्त हैं
अपनी जिंदगी के
तले त्रस्त हैं
व्यथा भी सुनने
वाला कोई नहीं
लिखें कुछ
पढ़नेवाला कोई नहीं
सब लोग उलझे
हुए हैं लोग यहाँ
किसी को
किसी की सुध है कहाँ
शासक अपनी सत्ता
बचाना चाहता है
इसलिए इलेक्शन
मोड में रहना चाहता है
विकास की बातों से
लोगों को भरमाना है
इतिहास के गौरव को
पाठ्यक्रम से हटाना है
भला सब अपने ही
सपनों में जब खो गए हैं
दूसरों की कौन सुनता
अपने लिए रो रहे हैं
बहुत कुछ मैं
कहना चाहता हूँ
लोगों की भी
सुनना चाहता हूँ
लोग स्तब्ध ,
मौन हैं दग्ध हैं
किसी से कोई
नहीं मुग्ध हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
26.04.2023