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19 Mar 2022 · 1 min read

अपनों बीच पराया

अपनों बीच पराया

शहर में आ बसने के बाद, गाँव जाए एक अरसा हो जाता है। किसी विशेष अवसर पर ही जाना होता है।
रमेश जब भी गाँव में जाता है। हमउम्र साथियों से मिलकर, बड़े-बुजुर्गों से आशीष पाकर बड़ी खुशी मिलती है।
परन्तु छोटे बच्चे पहचानने की कोशिश करते हैं। कानाफूसी करके पूछते हैं। कौन है ये?
उनका व्यवहार करा देता है महसूस “अपनों बीच पराया” होने का।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
181 Views
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