अपने ही नज़र में गिराया गया।
थोड़ा-थोड़ा शहद के प्याले में रोज ज़हर पिलाया गया।
वो मरने की कगार पर पहुँचा तो खुदखुशी बताया गया।
सम्मानित था, सम्मानित रहा उसकी नज़रों में हरदम।
बात गैरों की नहीं उसे अपने ही नज़र में गिराया गया।
-शशि “मंजुलाहृदय”
थोड़ा-थोड़ा शहद के प्याले में रोज ज़हर पिलाया गया।
वो मरने की कगार पर पहुँचा तो खुदखुशी बताया गया।
सम्मानित था, सम्मानित रहा उसकी नज़रों में हरदम।
बात गैरों की नहीं उसे अपने ही नज़र में गिराया गया।
-शशि “मंजुलाहृदय”