अपने हमसफर से अपेक्षाएं
प्रिय पाठकों आपको मेरा प्रणाम । कैसे हैं आप सभी । एक बार फिर हाजिर हूं मैं इस लेख के माध्यम से आपके समक्ष अपने कुछ विचार प्रस्तुत कर रही हूं आशा है आप अवश्य ही पसंद करेंगे ।
पाठकों लेख के लिए जो शीर्षक है कि आप अपने हमसफर से क्या अपेक्षाएं रखतीं हैं, इस विषय में मेरा यह मानना है कि आप अपने हमसफर या पति से तभी अपेक्षाएं रख सकतीं हैं, जब आप उनकी अपेक्षाओं को पूर्ण करें ।
वैसे तो जीवन में किसी भी रिश्ते में अपेक्षाएं होना ही नहीं चाहिए बल्कि जिंदगी की हसीन राहों में एक साथ रहते रहते एक दूसरे की जरूरतों को समझते हुए समयानुसार उन्हें पूर्ण करना चाहिए । असली जिंदगी में मैंने यह अनुभव किया है कि अपेक्षाओं की अधिकता भी अंत में दुःख ही देती हैं । फिर भी जीवन का असली सत्य यह भी है कि आप यदि विवाह बंधन में बंधने के बाद अपने हमसफर की अपेक्षाओं को पूर्ण करने की कोशिश करते हैं तो आप भी अपने हमसफर से अपेक्षाएं कर सकतीं हैं ।
हम दो बहनें हैं, मैं व मेरी छोटी बहन, भाई नहीं हमको । वर्ष 1994 में विवाह बंधन में बंधने के पश्चात मैंने एवं मेरे हमसफ़र ने एक नये विवाहित जीवन की शुरुआत की । हम दोनों ने कामकाजी होने के साथ-साथ मेरे माता-पिता एवं सासुमां व ससुर जी की समयावधि के अनुसार भरपूर सेवा की । समय बीतने के साथ ही साथ बच्चे भी हुए, एक बेटी व एक बेटा, फिर बच्चों की भी परवरिश सही तरीके से होना आवश्यक थी । तदानुसार जीवन के सभी उतार – चढ़ाव को पार करते हुए समय के साथ साथ हम आगे बढ़ते रहे । इन समस्त प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से पूर्ण करने में मेरे हमसफ़र ने बेहतरीन सहयोग प्रदान किया है ।
जीवन के मध्य पड़ाव में मेरी स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी के चलते परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते निभाते मुझे अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ी,पर तब भी मेरे हमसफ़र ने कहा पहले बेहतर स्वास्थ्य जरूरी है । जीवन के ऐसे पड़ाव पर जब दोनों बच्चों की उच्च स्तरीय शिक्षा जारी थी तथा ससुराल पक्ष में भी कठिन परिस्थितियों में हमारा सहयोग किसी ने भी नहीं दिया,तब केवल एक मेरे हमसफ़र ने ही मेरा पूर्णतः साथ निभाया और मुझे इस काबिल बनाया कि मैं पुनः मेरा आत्मविश्वास वापिस पा सकी और साथ ही साथ कहा कि तुम्हें जिंदगी में अभी बहुत कुछ उपयोगी काम करने हैं ,उसी का नतीजा है कि मैं इस समूह में शामिल होकर आप सभी के साथ अपने हमसफर के सहयोग से अपने विचार प्रस्तुत करने में सफल हो सकीं हूं ।
इन सभी जिंदगी के हसीन पलों के बीत जाने के बाद भी कुछ अपेक्षाएं रखतीं हूं –
1. यूं ही कट जाएगा सफर साथ चलने से अतः भविष्य में भी यूं ही साथ निभाते रहे ।
2.साथ ही सर्वप्रथम अपने स्वास्थ्य का पूर्ण रूपेण रखें ध्यान, तभी तो चला पाएंगे पूर्ण परिवार की कमान
3.हंसते हंसते हम दोनों मिलकर पूर्ण करेंगे दोनों बच्चों की जिम्मेदारी , क्या याद रखेगी दुनिया सारी
4.ईश्वर से अब यही करते हैं कामना आगे आने वाले समय में यदि जोखिम भरे कांटे भी गर बिंछे हों राहों में, पर मेरे हमसफ़र का साथ ना छुटे ।
5. हमसफ़र से अपेक्षाएं क्या करना है, अपेक्षाएं तो वह करते हैं जो दूसरों के लिए कोई काम करना ही नहीं चाहते, पर हम तो वो मुसाफिर है, साथ देंगे जब तक दम में है दम ,मुसिबतो का आना तो कभी ना होगा कम, चाहते हैं बदले में आपसे ओ मेरे साथिया यूं ही साथ निभाते रहना, जैसे निभाया है हरदम ।
अंत में आप सभी पाठकों का आभार व्यक्त करती हूं कि आप मेरे ब्लॉग को बेहद पसंद कर रहे हैं, तभी तो मैं इस प्लेटफार्म पर लिख पाई । धन्यवाद आपका । आपको मेरा यह लेख कैसा लगा,अपनी आख्या में बताइएगा जरूर ।