#ग़ज़ल-09
अपने साये को पकड़ने की कोशिश न कीजिए
दिल की बातें कह दीजिएगा बंदिश न कीजिए/1
फूलों ने बू को कैद करके कब है रखा कहो
सी कर दिल को गैरों-सी कोई साज़िश न कीजिए/2
मौका कहने का गर मिले तो मत छोड़िए इसे
दिल को बातों की कभी इक मज़लिस न कीजिए/3
खुलके जीना यारों मज़े में ये ज़िंदगी यहाँ
भूले से भी तुम हारके मन गर्दिश न कीजिए/4
“प्रीतम”कोई कुछ भी कहे हर परवाह छोड़िए
औरों को ख़ुशियाँ दीजिए पर ख़्वाहिश न कीजिए/5
-आर.एस.प्रीतम