अपने सपने खुद चुन लो
अपने सपने खुद चुन लो
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दिल की पुकार सुन लो,
अपने सपने खुद बुन लो।
रंग बदलते पल पल लोग,
संगी साथी तुम चुन लो।
बेसुरों से भरी है महफिल,
सुर भरी कहीं से धुन लो।
गांधला नीर बहे नदिया में
पीने से पहले तो पुन लो।
खोट मन में भी मनसीरत,
अवगुण छोड़ो ले गुण लो।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)