अपने लिए सभी जीते
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अपने लिए तो सभी जीते,
जो गैरों के लिए जिए
तो कोई बात है।
असहाय और दुखियों की,
वेदना को जो बांट सके
तो कोई बात है।
मन के कुविचार छोड़
अच्छे विचार, भाव और
सोच बदलो तो कोई बात है।
ईश्वर से हरपल सुख शांति मांगने वाले
दुख और कष्ट में भी खुश रहो,
तो कोई बात है।
कभी किसी का मत करो निरादर,
सबको एक ही सम समझो
करो हर जन का सम्मान,
तो कोई बात है।
सुषमा सिंह *उर्मि,,