अपने लिए भी जीना
अपने लिए भी जीना…….
अजीब सा एहसास है
जिसको सौगात में मिले उसके लिये जन्नत
जिसको अचानक मिले उसके लिये बिन मांगी मन्नत ,
अपने लिए भी जीना ……
अजीब सा स्वाद है
जिसको आदत है उसके लिए चटपटास
जिसको कभी – कभी मिले उसके लिए मिठास
जिसको कभी न मिले उसके लिए खटास ,
अपने लिये भी जीना…….
ये किस चिड़िया का नाम है ?
क्या बारिश में नाचता मोर लगता ?
या रोहिणी नक्षत्र की बूंद से तृप्त चातक हो जाता ?
शायद लुप्त होती गौरैया सा खुद को ढूढता ?
अपने लिए भी जीना ……
अजीब सा खेल है .
पहले ही मैच में शतक लगाने की ख़ुशी
बिब्लडन जीतने के बाद की हंसी
या फिर साँकर की जीत का सपना
शायद फूटबाल वल्ड्कप् हो जाये अपना ,
अपने लिये भी जीना……
डर के बाद की ख़ुशी
एडवेंचर राइडिंग में डरना फिर खुश होना
पानी में गिरना फिर अचानक से तैरना
पैराशूटिंग में कुछ देर बाद पैराशूट का खुलना
इमरजेंसी में प्लेन का शकुशल लैंड होना ,
अपने लिये भी जीना………
एैसा ही कुछ – कुछ होता है
दिल बेहिसाब धड़कता है
सबके लिये जीने की आदत में
अपनों को खुशियाँ देने की चाहत में
खुद के लिये जीना भूल जाते हैं
फिर भी ज़िंदा कहलाते हैं !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 16/06/14 )