अपने भी गैरों सा बर्ताव करने लगे
जबसे हम मुकद्दर से लड़ने चले हैं
रास्ते ही खुद की राहे बदलके चले हैं
हमको मुश्किलों से डरना नही है
जो भी हो टूटकर बिखरना नही है
रुकना मंजिल से पहले नागवारा हमको
हौंसला कर तुफानों से बिगड़ने चले हैं
रास्ते ही खुद की राह………………
सत्य की डगर कभी छोड़ेंगे नहीं
कर्म से मुँह हरगिज हम मोड़ेंगे नहीं
खुदा जाने है किसलिए उतारा हमको
बेफिक्र तकदीर से हम लड़ने चले हैं
रास्ते ही खुद की राह…………….
निकल पड़े हम दिल में सुरूर है
साथ दे ना दे कोई चलना जरूर है
कोई ना समझे यूँ ही नाकारा हमको
पंख नहीं है मगर हम उड़ने चले हैं
रास्ते ही खुद की राह…………..
“V9द” धुंधली सी डगर पर हैं
न जाने भला कौन से सफर पे हैं
जिंदगी कर अब कोई इशारा हमको
यूँ संवरने चले हैं कि उजड़ने चले हैं
रास्ते ही खुद की राह……………
स्वरचित
V9द चौहान