अपने बाप का क्या जाता है?
अपने बाप का क्या जाता है?
जब तू बोलता है तक आती है बहारें,
डोलती है दुनियां ढहती है दीवारें।
तेरे बोलने की छटा ही कुछ ऐसी है,
कि चमकते है आस्मां पे तारे सितारें।
बेशकीमती है शब्द तेरे, बोल है तेरे बड़े अनमोल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?
शब्दों से शक्ति है, शब्दों से भक्ति है।
शब्दों में जान है, शब्द ही महान है।
शब्द अजर है, शब्द अमर है।
शब्दों से वाणी,वाणी से प्राणी,
वजन को लेना अच्छे से तौल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?
शब्द से भलाई है, शब्द से बुराई है।
शब्द बनादे दुश्मन भाई से भाई है।
शब्दों की सीमा सीमा से संयम
संयम से जीती जा सकती लड़ाई है।
भाई बोल पहले तराजू के पल्ले पे तौल।
और जो भी बोल पर पहले दिल को खोल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?
तेरी ही बातों को मैनें गढ़ा था।
तेरे ही शब्दों से मैने पढ़ा था।
बातें जो तेरी थी उसमें था दम,
दुश्मन से मैनें उसी से लड़ा था।
बातें न तेरी हो ढोल में पोल।
तो बातों के भीतर भर देना सोल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?
सज्जन की सज्जन से सज्जन सी बात है।
साथी है साथी तो साथी सा साथ है।
शब्दों के अस्त्रों से दुश्मन को चीर दे,
दुर्जन है उसको दिखाना औकात है।
बातें हैं बन्दूक तो बन्दूक से बोल।
कर देना दुश्मन के कलेजे में होल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?
शब्दों की मीठी मिठाई पिलाना।
दुखियोंको शब्दों से ढाढस बंधाना।
शब्दों में ताकत वो बचा लेगा जान।
पंगू पहाड़ भी चढ़ेगा तू मान।
शब्दों की महिमा निराली तू बोल।
शब्दों का दुनियां में अनुपम है रोल।
तो बोल शब्दों से अपने बाप का क्या जाता है?