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15 Feb 2024 · 1 min read

प्रेम प्रभु का

प्रेम में अपने भिगो ले मुझको
कभी अलग नही हो पाऊं मैं

मैं तेरे बिन ओ मेरे मालिक
हाड़ मांस का पुतला हूं
ना कुछ आए ना कुछ सीखा
कठपुतली सा एक गुड्डा हूं
कृपा बना दे मुझ पर अपनी…
कृपा बना दे मुझ पर अपनी…
बस होके तेरा रह जाऊं मैं
प्रेम में अपने भिगो ले मुझको
कभी अलग नही हो पाऊं मैं

मैं नादान हूं मैं बस हरदम
सानिध्य तेरा चाहता हूं
नहीं आता है विधान पूजन का
आशीष तेरा चाहता हूं
चरण में अपने दे दे जगह…
चरण में अपने दे दे जगह…
सदा तेरे गुण गाउं मैं
प्रेम में अपने भिगो ले मुझको
कभी अलग ना हो पाऊं मैं

इति।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश

Language: Hindi
84 Views
Books from इंजी. संजय श्रीवास्तव
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