अपने दौर के फनकारों से
होश की बात कीजिए
नज़र की बात कीजिए
आप बुतों के सामने
ज़िगर की बात कीजिए…
(१)
आजकल घुट रहा है दम
जिनमें अवाम का
हवाओं में घुले हुए
ज़हर की बात कीजिए…
(२)
देश में क़ानून और
व्यवस्था के नाम पर
बरपाए जा रहे
कहर की बात कीजिए…
(३)
अगर वाकई अपने को
एक शायर समझते हैं
तो अपने अब तक के
सफ़र की बात कीजिए…
(४)
बिना कांट-छांट के
वक़्त और हालात का
अपने ऊपर पड़े हुए
असर की बात कीजिए…
(५)
इतने भ्रष्टाचार और
महंगाई के दौर में
कैसे होता आपका
गुजर की बात कीजिए…
(६)
गीली लकड़ी की तरह
बस धुंआ दे-देकर
सुलगती हुई अपनी
उमर की बात कीजिए…
Shekhar Chandra Mitra
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