अपने दिल से पूछो ग़ज़ल
ग़ज़ल
ज़ख़्म,तन्हाई ,जुदाई , सब किया है आपका ।
आप अपने दिल से पूछो मामला है आपका ।
सिर्फ़ तन्हाई के बदले क्या मिला है इश्क़ में,
ख़ार,ख़ंजर,दर्द,नफरत तो दिया है आपका ।
आपकी नज़रों में लगता इश्क़ कोई खेल है,
तो सुनो बेशक़ ग़लत है ये तजुर्बा आपका ।
आपको परहेज़ अब भी है मेरे क़िरदार से,
तो करूँ क्या यार मैंने क्या लिया है आपका ।
ज़ाम ले भरपूर अपनी शौक़ पूरा कीजिये ।
महफिलें है आपकी ये मयकदा है आपका ।
आप अपना सोचिएगा इश्क़ में क्या चाहिए ,
ख़ार, ख़ंजर ,दर्द नफरत फ़ैसला है आपका ।
बेवज़ह क्यो ढूढ़ते हो इश्क़ में रकमिश सुकून ।
इश्क़ में केवल ग़मों से सामना है आपका ।