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1 Oct 2018 · 1 min read

अपने दिल के करीब हो कोई

ग़ज़ल (बह्र – ख़फीफ मुसद्दस मख़बून)

अपने दिल के करीब हो कोई।
एक ऐसा हबीब हो कोई।।

जख़्म देकर लगाये ख़ुद मरहम।
ऐसा भी तो रकीब हो कोई।।

जो चमन पर लुटाये ज़ाँ अपनी।
ऐसी इक अंदलीब हो कोई।।

नप सके जिससे दूरियां दिल की।
ऐसी भी तो ज़रीब हो कोई।।

वह्म का जो इलाज करता हो।
एक ऐसा तबीब हो कोई।।

सीख इंसानियत की देता हो।
अब तो ऐसा खतीब हो कोई।।

मर के जिंदा “अनीश” नाम रहे।
मैं चढ़ूँगा सलीब हो कोई।।
@nish shah
हबीब =प्रिय। रकीब =प्रतिद्वंद्वी। अंदलीब =बुलबुल। तबीब=चिकित्सक। खतीब =धर्म उपदेशक।सलीब=सूली

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