अपने दामन को दागदार किया
अपने दामन को दागदार किया
क्यूँ फरेबी का एतबार किया
जिसने मुझपे सितम हजार किया
यार उसको ही मैंने प्यार किया
संगदिल के लिए क्यूँ रोज़ाना
इन निगाहों को अश्क़-बार किया
एक पत्थर नहीं पसीजा है
मुद्दतों मैंने इंतजार किया
उनसे मिलना कभी न मुमकिन था
बेवजह खुद को बेकरार किया
कौन अपना है या पराया है
मैंने इसका नहीं विचार किया
सबको ‘आकाश’ राय देता है
किन्तु अपना नहीं सुधार किया
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 26/02/2023