*अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)*
अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात (कुंडलिया)
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अपने करते द्वेष हैं, अपने भीतरघात
बाहर से मक्खन लगें, चिकनी-चुपड़ी बात
चिकनी-चुपड़ी बात, भरे दिल के अति काले
मुॅंह से जपते राम, बगल में छुरी सॅंभाले
कहते रवि कविराय, देखते अपने सपने
कैसे गिरें धड़ाम, एक धक्के में अपने
अपने = रिश्तेदार, पड़ोसी, मित्र, सहकर्मी आदि
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451