-अपने और सपने
आज मैं अपने घर से निकली,
सपनों को पूरा करने के खातिर,
पति की स्वीकृति से, बच्चों की सहमति से,
सास-ससुर की आज्ञा से,दोरानी जेठानी की हामी से,
दहलीज को पार किया अपनी खातिर आज से,
निकली जब घर से……..
सिमटी,सकुची-सी, कुछ सहमी-सी,
फिर भी आत्मविश्वास से भरी-सी,
पर……
जिम्मेदारी का वजन था मेरे मन में,
सास-ससुर की दवाई का वक्त,
पतिदेव के भोजन की परवाह,
बच्चों के मन की इच्छा,
समाज के लोगों की चिंता,
चलती जा रही थी सवालों के कदमों की चाल से,
पर बंधी थी मैं आत्मविश्वास की ढाल से,
पहुंची जब मैं अपने गंतव्य पर,
सवालों की चाल को रोक लिया,
अपनी जिम्मेदारी को कुछ वक्त छोड़ दिया,
आत्मविश्वास की गहरी सांस को धीमें से लिया,
अपने सपनों को पूरा करने की खातिर,
अपनों का अनमोल समय मैंने मोल लिया।
– सीमा गुप्ता