अपने उरूज-ओ-ज़वाल को देख,
अपने उरूज-ओ-ज़वाल को देख,
है ज़िन्दगी क्या ये सोचता हूँ,
खुदसे क़लह है, ख़लिश है ऐसी,
खुद चेहरा अपना नोचता हूँ।
अपने उरूज-ओ-ज़वाल को देख,
है ज़िन्दगी क्या ये सोचता हूँ,
खुदसे क़लह है, ख़लिश है ऐसी,
खुद चेहरा अपना नोचता हूँ।