अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते हैं उसकी गर्जना से नहीं।