“अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए ए
“अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए एक बार। हो सकता है सच समझ आए।”
#सब_नहीं।
(सिर्फ़ अपने नाम के आगे तमाम सारे विशेषण लगाने वाले मूढ़धन्य विद्वतजन M/F दोनों)😊
👌प्रणय प्रभात👌