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1 Aug 2024 · 1 min read

“अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए ए

“अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए एक बार। हो सकता है सच समझ आए।”
#सब_नहीं।
(सिर्फ़ अपने नाम के आगे तमाम सारे विशेषण लगाने वाले मूढ़धन्य विद्वतजन M/F दोनों)😊

👌प्रणय प्रभात👌

1 Like · 91 Views

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