अपनी हिंदी
मधुर मनोहर मीठी फूलों-सी है अपनी हिंदी।
सावन के मस्ती भर झूलों-सी है अपनी हिंदी।।
जन-मन भावन उमंग तरंग-सी है पावन हिंदी।
गीत ग़ज़ल कवित कथा सभी विधा का तनमन हिंदी।।
शीश उठाकर सबसे आगे चलती जाए हिंदी।
भाव सजाकर सबके दिल में बसती जाए हिंदी।
पंख लगाकर जग में उड़ती हँसती जाए हिंदी।
मान दिलाकर भारत को मन रचती जाए हिंदी।।
सब भाषाएँ हैं अच्छी हिंदी की बातें न्यारी।
जैसे बोलो वैसे लिखना है वैज्ञानिक प्यारी।।
पूरे भारत को एक शूत्र में बाँधे रखती जो।
क्षमता रखती ये तो बस इकलौती हिंदी हमारी।।
पंत प्रसाद निराला के भावों को सुर में ढ़ाला।
वर्मा मन बसी पीड़ा को अंदाज़ दिया निराला।।
माखन बच्चन दिनकर गुप्त के हृदय को संभाला।
प्रीतम ने भी हँस पी लिया हिंदी प्रेम का प्याला।।
आर.एस.प्रीतम
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