अपनी शक्ति
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अपनी शक्ति याद कर कभी न इसको भूल।
दुश्मन चाटेंगे सदा तेरे पग की धूल ।।
तेरे पग की धूल सभी मिल साथ में आवें ।
साहस शौर्य पराक्रम से सब मुँह की खावें ।।
कह सतीश कवियार चाहिए गाथा छपनी ।
कभी न हो भयभीत भूलकर ताकत अपनी ।।
2******
जब बाजार में चले गज , भौंके स्वान हजार ।
विचलित गज होता नहीं , कभी एक भी बार ।।
कभी एक भी बार उसे आगे बढ़ना है ।
नई मंजिलें उसे जिंदगी की चढ़ना है ।।
कह सतीश कवियार विचारो बातें ये सब ।
करो नजर अंदाज स्वान गर भौंकेंगे जब ।।
3******
रहो तनक हुशियार जे , पड़ें लोटकर पाँव ।
अर्थ भांपकर नवन का खेलो अपने दाँव ।।
खेलो अपने दाँव , इन्हें छल से ही मारो ।
कपटी के संग कपट जरूरी बात विचारो ।।
कह सतीश कवियार संग साँचे को गहो ।
रखो प्रभु विश्वास जगत में निर्भय रहो ।।