अपनी यह ख़ामोशी तोड़
सहोगे कब तक यह प्रहार
छीन रहा तेरा अधिकार
बहुत हुआ छल-कपट,अंधेर
आँखें खोल अब मत कर देर
देख तुम्हें सब रहे निचोड़,
अपनी यह ख़ामोशी तोड़!
सिर्फ़ दिखावा है यह पोषण
हो रहा है तेरा शोषण
तेरी रोटी किसी का भोजन
आख़िर इसका क्या प्रयोजन
दुर्बल बनकर रहना छोड़,
अपनी यह ख़ामोशी तोड़!
वर्तमान की यही सच्चाई
कोई न समझे पीर पराई
देकर लालच,दिखाके सपना
सब गेह भरे हैं अपना-अपना
लगी है लुटेरों में होड़,
अपनी यह ख़ामोशी तोड़!
यह तेरा रहना चुपचाप
बन जाये न कहीं अभिशाप
ओस नहीं अब बन चिंगारी
कर बग़ावत की तैयारी
दे जवाब उनको मुँहतोड़,
अपनी यह ख़ामोशी तोड़!
चोर-लुटेरों का यह फ़ौज
तेरे दम पर करता मौज
बिगुल बजा होकर निर्भय
निज शक्ति का दे परिचय
अपने हक से मुँह मत मोड़,
अपनी यह खामोशी तोड़!