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30 Apr 2017 · 1 min read

अपनी पीड़ा…

कब तक दबाती फिरोगी
अपने दर्द की पीड़ा को
इन जुल्मों को सहना
पाप है!
जागो,उठो अपने
अधिकारों को समझो
अब और मत होने दो
चीर-हरण!
बचा लो अपने अस्तित्व को
सबक बन जाओ
उन हवसी दरिन्दों के लिए
फिर दुबारा सौ बार सोंचे
वो ऐसा करने से!
धारण करो चण्डी का रूप
मत बैठो अब और
दबाकर अपनी पीड़ा को!
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
252 Views
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