अपनी धरा का करते श्रृंगार पेड़ ही हैं
अपनी धरा का करते श्रृंगार पेड़ ही हैं
हर साँस का हमारी आधार पेड़ ही हैं
ये प्राणवायु देकर,संसार को चलाते
ये ही हमें प्रकृति के हर कोप से बचाते
ये वैद्य हैं हमारे,काटो न इनको मानव
पर्यावरण का करते उपचार पेड़ ही हैं
करते हरा भरा हैं ये ही धरा का आँचल
करते यहीं बसेरा हैं पक्षियों के भी दल
ये छाँव अपनी देकर हैं भूख भी मिटाते
अनमोल ये प्रकृति के उपहार पेड़ ही हैं
इनके ही पात धरती उपजाऊ है बनाते
ये ही कटान से भी अपनी धरा बचाते
इनसे ही हैं बरसते काले घने ये बादल
बहती हुई नदी की रसधार पेड़ ही हैं
03-09-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबादN