~~अपनी तो ऐसे ही चलेगी~~
देखो, आज
गुजर गए हैं
२५ साल , हम से
तुम को मिले हुए
अब भी बच्चों की तरह
झगड़ते हो
क्यूं तुम
ऐसा करते हो,
क्या तुम को इस में
कुछ आनंद मिलता है
क्यूं नादान
से बनके शरारत करते हो
देखो,
धर्मपत्नी जी
हम तो ऐसे ही
रहेंगे, हर वक्त
तुमको रहना है यहाँ
मुझ को भी
फिर देखो
वो ख़ामोशी सी
अछि नहीं लगती
थोडा गुस्सा
साथ प्यार तकरार
न हुई तो क्या कहंगी
यह घर की दीवार
एक हलचल सी
जरूरी है हर बार
दिल तो वो ही है
बेशक गुजर गए
हो इतने साल, कैसे न
याद करें वो बीते साल
जब मिले थे हम
दोनों उस बार
किस के पास जाकर
करें हम यह तकरार
एक तुम ही तो, जो
सहती हो मेरे
गुस्से का अत्याचार
यह प्यार है, कुछ
और नहीं,
बस वक्त के साथ बढती जायेगी
दोनों के प्यार की फुहार
हर बार,
थोड़ी थोड़ी से कर लिया
करेंगे, तकरार..
हहहहहःहहहाहा
अजीत कुमार तलवार
मेरठ