अपनी डफली अपना राग…
बजा अपनी डफली,अपना राग
लगा रखी सबने आग ही आग ।
जी हां ! आप तो सच दिखाते है ,
और गैरों पर लगाते झूठ का दाग ।
आपके दिल में तो इंडिया रहता है ,
बाकी लोगों को विदेश से अनुराग ।
यह न्यूज चैनल हैं किराए के भांड ,
नेताओं के लाडले आलापें प्रशंसा राग ।
मुद्दों की बड़ी बड़ी रजाइयों में घुसकर ,
या गड़े मुर्दे निकाल कर ढूंढ लेते सुराग ।
इनकी पैनी निगाहों के तो क्या कहने!
कोई शातिर बचके कहीं जाएगा भाग ?
पक्ष – विपक्ष दलों में जो पकती खिचड़ी ,
उस खिचड़ी में मिलाते तीखे मसालों का भाग ।
और जनता को परोसते चटकारे लगाकर ,
जैसे कोई मक्की की रोटी,सरसों का साग ।
बॉलीवुड की गॉसिप और नेताओं की जंग ,
इनके मध्य छिपा दें खुद ही देश के खास मुद्दे ,
और स्वयं जनता को कहते जाग सके तो जाग ।
जी हां ! सोच लो गर जनता जाग गई तो ,
तुम्हारी दुकानदारी का क्या होगा ?
जब तुम्हारा भांडा फूटेगा, तो बच्चू !
भाग सके तो भाग !