अपनी जगह
सिख का वो ही है हिंदू का वही सबका है एक
कोई चर्च मे कोई मस्जिद मे है ढूंढी अपनी जगह
जिसे अपना मान बैठे वो नही अपना रहा
है पडी सब को ही अपनी बेखुदी अपनी जगह
धर्म जाति ओर मजहब सब ने अपने बाटे है
घूम इंसानियत हो गई स्वार्थ ही अपनी जगह
सिख का वो ही है हिंदू का वही सबका है एक
कोई चर्च मे कोई मस्जिद मे है ढूंढी अपनी जगह
जिसे अपना मान बैठे वो नही अपना रहा
है पडी सब को ही अपनी बेखुदी अपनी जगह
धर्म जाति ओर मजहब सब ने अपने बाटे है
घूम इंसानियत हो गई स्वार्थ ही अपनी जगह