अपनी-अपनी दिवाली
अपनी-अपनी दिवाली
धनतेरस का दिन था। सब ओर खुशी का माहौल था। बच्चों ने पटाखे चलाने शुरु कर दिए थे। लोग तथाकथित छूट का भरपूर लाभ उठाते हुए नए कपड़े, जूते, चप्पल, गहने, बर्तन आदि खरीदने में मशगुल थे।
पिछले तीन दिनों से बोहनी के इंतजार में अपने ठेले पर उदास बैठा हरिया मोची सोच रहा था कि आज वह अपने इकलौते बैठे रामू को किस बहाने से बहलाएगा क्योंकि पैसों के अभाव में वह अभी तक उसके लिए कुछ भी नहीं खरीद सका है।
अचानक उसे रिक्शे में बंधी लाउडस्पीकर से आ रही आवाज सुनाई पड़ी- “सेठ बाँकेलाल की बेटी को बी पॉजीटिव ग्रूप के खून की तत्काल आवश्यकता है। खून देने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा। संपर्क करें- शासकीय चिकित्सालय…।”
हरिया की आँखों में चमक आ गई। अब वह ठेला बंद कर अस्पताल की ओर चल पड़ा।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़