अपनी अपनी ढपली सब की
आज सत्ता के चक्कर में हो रहा है देश का नुक्सान,
जिस को देखो झंडा उठा कर कह रहा मेरा भारत महान,
में तो नहीं समझता कि देश हो रहा महान,
हर कोई अपनी हेंकड़ी जमा कर बन रहा शैतान,
बन रहा शैतान बस चिंता है कुर्सी की,
चाहे बल से मिले या धन से मिले,
फिर चिंता करगे क्या ये बलवान,
भूख इतनी ज्यादा है की जात पात की खाई पाट दी है,
रिश्तेदारों को भी इस सत्ता ने बहुत तरफदारी दी है,
घर घर में कर दिया न जाने कितना फसाद,
फिर भी बस देखो कहते हैं मेरा भारत महान.
किसी को रोकने को भी निम्न स्तर तक जा रहे हैं,
रूक रूक कर अपने शब्दों के न जाने कितने बाण चला रहे हैं,
जिस को देख बस फिर भी करता रहता है यही बखान,
चाहे कुछ भी हो जाये बस मेरा भारत महान.
इंसान ने अब अपनी इंसानियत को हटा दिया है,
जात पात को सब से ज्यादा बढ़ावा दिया है,
प्यार की कल्पना जब करने लगता है इंसान,
न जाने कहाँ से बीच फिर आ जाता है शैतान,
बाँट कर कुर्सी के मोहमाया को बन रहा बलवान,
फिर सब के सामने आकर कहता है मेरा भारत महान ….
.मेरा भारत महान..
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ