अपनी-अपनी गाने वालो
अपनी-अपनी गाने वालो,सच को आज छिपाने वालो।
कथनी-करनी एक करो तुम,झूठी कोई पहचान नहीं।।
सूरज चाँद सितारे सच्चे,
धरती गगन नज़ारे सच्चे,
मानव मन का भ्रम मिटाओ,
क्यों बनते सपनों-से कच्चे,
भाल झुकेगा इक दिन झूठा,पायेगा फिर वो मान नहीं।
सीधा-सादा जीवन प्रीतम,इससे प्रबल अभिमान नहीं।।
धोखेबाजी की वय छोटी,
जीवन सतरंजी है गोटी,
खेले हरपल चाल नयी ये,
मीठी मेहनत मिली रोटी,
अरमानों का लूटा जाना,स्थायी जीवन की शान नहीं।
सच से पगले आँख चुराना,संकट का एक निदान नहीं।।
परजीवी बनके खुश होना,
भूल रहा है सच का रोना,
याद रहे पर ये जीवन है,
हाथ समय के एक खिलौना,
प्रारब्ध तुम्हारा साथ रहे,जिसका तुमको है भान नहीं।
तुम भूलो लाख मगर क्या हो,वो तो तुमसे अनजान नहीं।।
सुख सत्ता माया बहकावा,
दूर रखें निज का पछतावा,
ये संसार चलचित्र समान,
देखो नित-प्रति इसकी छाया,
मानव तू है नादान बना,मन खुद-सा पर सम्मान नहीं।
ये जीवन प्रेम भरा संगम,कर युद्धों का मैदान नहीं।।
आर.एस. प्रीतम
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