अपना
तिनका – तिनका लगता मेरा ।
टूट बिखर भी मेरा ।
दबाये चली खुशी ,
कभी जिंदगी होगी ,खुली ।
सोचा था,एक सपना ,
होगा कोई पल अपना ।
जिंदगी का सपना ,
लग रहा था ,अपना ।
टूटा सपना ,छूटा अपना ।
भूल सा लगा मुझे,
अपनों को अपना ।
जिंदगी मेहमाँ , कोई अपना ।
पल काट कर ही ,
कोई कहे या न कहें ,
लेकिन था , अपना ,
वो एक क्षण , अपना
नोट :- उस दर्द को क्या नाम दूँ ,जो देता अपनों को अपना _भूल
_ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार ( भागलपुर ) ।
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