अपना हाल लिखूँ
ए
मेरी
जान
सुन
आज
तुझे
हिसाब
लिखू
दिल
ए
बेचैन
का
राज
लिखूँ
कैसे
गुजरे
मेरे
दिन
मेरी
रात
लिखूँ
है
दिल
कितना
बेकरार
लिखुँ
तुझ
पर
कुर्बान
अपनी
जान
लिखूँ
सुर्ख
लाल
होठो
से
गमे
ए
बेहिसाब
लिखूँ
दर्द
ही
दर्द
है
जीस्त
में
इस
दर्द
को
लाईलाज
लिखूँ
समझते
नही
कोई
फिर
भी
पाति
तेरे
नाम
लिखूँ
मुमकिन
नही
मेरा
अब
पाक
होना
अपने
इरादे
नापाक
लिखूँ।
आ
अपने
जीवन
का
कुछ
हाल
लिखूँ।।
✍काव्यसंध्या