अपना संस्कृति
स्वागत है ऐ पच्छिम वालो,
तुमसे अपना कोई बैर नही।
तुमने जो छीनी संस्कृति हमारी,
तो कसम से तुम्हारी खैर नही।।
तुमने जो कहा हम खलनायक,
हमको बिज्ञान का ज्ञान नही।
तुम्ही बताओ कैसे अपना,
सहित्य संस्कृति संज्ञान नही।।
आज तुम्हारा नाशा देखो की,
इसका इतना भी ध्यान नही।
जो कह चुके है हम पहले ही,
इसको इसका भी भान नही।।
सिर्फ ए इ आई ओ यु पास तेरे,
मेरा स्वर, व्यंजन का खजाना है।
जा डूब मरो अए इंग्लिश वाले,
ये अपना संस्कृति तो पुराना है।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २६/११/२०१८ )