अपना भी नहीं बनाया उसने
अपना भी नहीं बनाया उसने
अपना भी नहीं बनाया उसने और
किसी और का होने भी नहीं दिया ।
बात भी नहीं की उसने मुझसे और
रात भर उसने सोने भी नहीं दिया ।।
वह आया मेरी जिंदगी कुछ पल
रास्ते में छोड़ कर चला गया मुझे ।
दामन खुशियों से भिगोया भी नहीं
और किसी से भिगोने भी नहीं दिया।।
मोतियों की माला सा था जीवन
धागे के टूटने से ही बिखर गया ।
उसने माला में मोती पिरोया नहीं
और किसी से पिरोने भी नहीं दिया।।
कैसी अधूरी दास्ता लिखी उसने
मुकम्मल उसे भी होने ना दिया ।
उसने तो पाया भी नहीं मुझको
और उसने खोने भी नहीं दिया ।।
बड़ा ही गहरा था वो दरिया यार
और ऊपर से गुरूर भी अलग ,
किसी को पूरा नहला दिया गया
और मुझे मुह भी धोने ना दिया ।
✍️कवि दीपक सरल
Language: Hindi